8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए इसका महत्व, पूजाविधि और पौराणिक कथा

8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए इसका महत्व, पूजाविधि और पौराणिक कथा
December 07, 2023

8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी, जानिए इसका महत्व, पूजाविधि और पौराणिक कथा

मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के नाम पर व्रत किया जाता है।

उत्पन्ना एकादशी तिथि का प्रारम्भ

एकादशी तिथि 8 दिसंबर को सुबह 5 बजे 6 मिनट पर शुरू होगी। 9 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

उत्पन्ना एकादशी तिथि का महत्व

महत्व शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी को उपवास करता है। वह वैकुण्ठधाम में जाता है, जहां साक्षात गरुणध्वज विराजमान हैं। जो व्यक्ति एकादशी माहात्म्य का पाठ या श्रवण करता है, उसे सहस्त्र गोदानों का पुण्य मिलता है। इस व्रत को करने से मोक्ष और धर्म मिलता है। इस व्रत से मिलने वाले लाभ अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से भी अधिक हैं।

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उत्पन्ना एकादशी की पूजाविधि:

इस दिन देवी एकादशी के साथ भगवान श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान को पुष्प, धूप, दीप, चन्दन, अक्षत, फल, तुलसी आदि से पूजना चाहिए। इस व्रत में फलाहार ही खाया जाता है।इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करना और विष्णु सहस्त्र्नाम का पाठ करना बहुत अच्छा होता है। संध्या पर मंदिर में दीपक जलाने से शुभफल मिलते हैं। रात्रि में श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए भजन-कीर्तन आदि करें।

उत्पन्ना एकादशी की कथा

कथा कहती है कि सतयुग में एक राक्षस था जिसका नाम नाड़ीजंघ था और उसका एक पुत्र था मुर। शक्तिशाली मुर ने इंद्र, यम और अन्य देवताओं को हराया। ऐसे में सभी देवता अपनी पीड़ा को लेकर भगवान शिव की शरण में गए और उनसे अपनी समस्याओं को बताया। परमेश्वर ने देवताओं को इस समस्या का समाधान खोजने के लिए श्रीहरि के पास जाने के लिए कहा। इसके बाद सभी देवता अपनी पीड़ाओं को लेकर भगवान विष्णु की शरण में गए और पूरी बात उन्हें बताई।

भगवान विष्णु ने देवताओं की समस्या का समाधान करने के लिए मुर को पराजित करने के लिए रणभूमि में पहुंचकर मुर से 10 हजार वर्षों तक युद्ध किया। मुर ने भगवान विष्णु को देखते ही उन पर भी हमला किया। माना जाता है कि मुर और भगवान विष्णु ने 10 हजार वर्षों तक लड़ाई लड़ी।

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श्री हरि ने एकादशी युद्ध करते हुए थककर बद्रिकाश्रम की गुफा में विश्राम करने लगे, इसके बाद दैत्य मुर भी विष्णु के पास उस गुफा में पहुंचा। उस राक्षस ने भगवान पर हमला करने के लिए हथियार उठाए ही थे कि एक कांतिमय रूप वाली देवी भगवान के शरीर से प्रकट हुई और मुर राक्षस को मार डाला। देवी का नाम एकादशी पड़ गया क्योंकि वह मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को जन्मी थी। इन देवी को एकादशी के दिन उत्पन्न होने के कारण उत्पन्ना एकादशी भी कहा जाता है।

उत्पन्ना एकादशी के बारे में अधिक जानकारी के लिए, पूजा विधि, और आपकी कुंडली के अनुरूप इस दिन कैसे भगवान विष्णु की पूजा करके अपने वैवाहिक जीवन को सुखद करने के उपायों के लिए anil astrologer से आज ही सम्पर्क करें।

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