ज्योतिष शास्त्र में शनि देव एक महत्वपूर्ण ग्रह है। कलियुग में, शनि को कर्मफलदाता और न्यायाधीश माना गया था। जब शनि अशुभ होते हैं, तो उनका जीवन परेशानी और मुसीबत से भर जाता है। माना जाता है कि शनि दशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती व ढैय्या में परेशान करता है। यह स्पष्ट है कि शनि अशुभ हैं, शनि को शांति देने के लिए उपाय करना आवश्यक है, अगर नहीं तो गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
शनि के अशुभ फल
● जब शनि अशुभ फल देता है, तो वह व्यक्ति को कई परेशानियां लाता है।
● शिक्षा, काम और बिजनेस में कठोर परिश्रम करने पर भी सफलता नहीं मिलती, कोई बाधा या समस्या बनी रहती है।
● शनि भी गंभीर बीमारी देते हैं।
● धन की बचत करना मुश्किल है।
● अचानक समस्याएं और खर्च बढ़ जाते हैं।
● अज्ञात भय भी पैदा करते हैं।
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प्रेम संबंधों में बाधा:
शनि भी प्रेम संबंधों में बाधा डालते हैं। जब शनि की दृष्टि पंचम भाव पर पड़ती है, तो प्रेम विवाह में बाधा आती है। कुंडली का पंचम भाव भी प्रेम संबंध, प्रेम अफेयर आदि का भाव है। शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या में ब्रेकअप भी होता है। वहीं, शनि अशुभ होने पर शादी विवाह में भी देरी होती है और शादी करना मुश्किल होता है। इसलिए शनि देव को पूजना चाहिए।
अशुभ शनि के उपाय ।
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