ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का स्थान महत्वपूर्ण है। कुंडली में उनकी स्थिति और दशा व्यक्ति का जीवन प्रभावित करती है। इससे उनकी आर्थिक, सामाजिक स्थिति, पारिवारिक जीवन और शादी भी प्रभावित होती है। प्रेम भी कुंडली में ग्रहों की दशा से प्रभावित होता है।
ऐसे लोगों को प्यार मिलता है जब कुंडली में प्रेम योग है, लेकिन जब कुंडली में प्रेम योग नहीं है या कमजोर है, तो प्यार करना मुश्किल हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आपके नसीब में प्यार है या नहीं, ग्रहों की दशा बताती है। आइए जानते हैं कि कुंडली में प्रेम योग बताने वाले कौन से कारक हैं।
प्रेम विवाह की संभावना
जीवन में बहुत से लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोगों को सफलता मिलती है, तो कुछ को बाधाएं मिलती हैं। कभी-कभी जन्म कुंडली में ऐसे योग होते हैं। जो प्रेम और विवाह के योग हैं। ज्योतिष में शुक्र ग्रह को प्रेम, भोग-विलास, पति-पत्नी और स्त्री का कारक माना जाता है।
प्रेम में शुक्र, चंद्रमा और मंगल का महत्वपूर्ण योगदान होता है, इसलिए शुक्र की कुंडली में अच्छी दशा होनी चाहिए। दिल मिलना तय है जब इन तीन ग्रहों की जन्म कुंडली में अच्छी स्थिति होती है। अब आपको कुंडली में प्रेम विवाह का योग कब मिलता है?
- ज्योतिषी कहते हैं कि प्रेम विवाह का योग बनता है। जब मंगल राहु या शनि के साथ हो।
- सप्तमेश राहु, शुक्र या शनि होने पर विवाह का योग बनता है।
- यदि जन्म कुंडली में शुक्र और मंगल का कोई योग होता है या इन दोनों ग्रहों के बीच कोई संबंध होता है, तो आपके जीवन में प्यार की बहार आती है।
- जन्म कुंडली में राहु और केतु पंचम स्थान पर होते हैं तब प्रेमपूर्ण विवाह संभव है।
- प्रेमी जन्म कुंडली में शुक्र या चन्द्रमा लग्न से पंचम या नवम होते हैं।
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प्रेम जीवन के लिए पंचम और सप्तम के स्वामी कुंडली में एक साथ आने पर ग्रहों की स्थिति सकारात्मक होती है।
जिन जातकों की कुंडली में ये योग नहीं है, वे निम्नलिखित उपायों को अपनाए:
ज्योतिष Anil Astrologer के अनुसार, प्रेम विवाह करने के लिए तीन महीने तक हर गुरुवार को किसी भी मंदिर में जाकर भोग चढ़ाएं और फिर उसे दूसरों में भी बांटें। इससे प्रेम विवाह के योग बनते हैं।